english मराठी తెలుగు മലയാളം தமிழ் ಕನ್ನಡ Contact us हमसे संपर्क करें Spotify पर सुनो Spotify पर सुनो Download on the App StoreIOS ऐप डाउनलोड करें Get it on Google Play एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड करें
 
लॉग इन
ऑनलाइन दान
लॉग इन
  • होम
  • इवेंट्स
  • सीधा प्रसारण
  • टी.वी.
  • नोहाट्यूब
  • स्तुती
  • समाचार
  • डेली मन्ना
  • प्रार्थना
  • अंगीकार
  • सपने
  • ई बुक्स
  • कमेंटरी
  • श्रद्धांजलियां
  • ओएसिस
  1. होम
  2. बाइबल कमेंटरी
  3. अध्याय ७
बाइबल कमेंटरी

अध्याय ७

Book / 37 / 1780 chapter - 7
897
फारस में दारा के राज्याकाल के चौथे वर्ष, जकर्याह को यहोवा का एक संदेश मिला। यह नौवे महीने का चौथा दिन था। (अर्थात् किस्लव।) 2 बेतेल के लोगों ने शेरसेर, रेगेम्मेलेक और अपने साथियों को यहोवा से एक प्रश्न पूछने को भेजा। 3 वे सर्वशक्तिमान यहोवा के मंदिर में नबियों और याजकों के पास गए। उन लोगों ने ने उनसे यह प्रश्न पूछा: “हम ने कई वर्ष तक मंदिर के ध्वस्त होने का शोक मनाया है। हर वर्ष के पाँचवें महीने में, रोने और उपवास रखने का हम लोगों का विशेष समय रहा हैं। क्या हमें इसे करते रहना चाहिये?”

4 मैंने सर्वशक्तिमान यहोवा का यह सन्देश पाया है: 5 “याजकों और इस देश के अन्य लोगों से यह कहो: जो उपवास और शोक पिछले सत्तर वर्ष से वर्ष के पाँचवें और सातवें महीने में तुम करते आ रहे हो, क्या वह उपवास, सच ही, मेरे लिये थानहीं! (जकर्याह ७:१-५)


धार्मिक उपवास से आज्ञाकारिता बेहतर है। यह उपवास को नकारने के लिए नहीं है। ऐसा कहते है कि, कोई उपवास करता है तो और फिर भी प्रभु और उनके वचन के विरुद्ध विद्रोह में जी सकता है। 
 
यहोवा का यह वचन जकर्याह के पास उन ७ कामों के विषय में पहुंचा जो उन्हें करने थे: (जकर्याह ७:८-१०)

१. खराई से न्याय चुकाना, 
२. एक दूसरे के साथ कृपा और दया से काम करना,
३. न तो विधवा पर अन्धेर करना
४. न अनाथों पर अन्धेर करना
५. न परदेशी पर अन्धेर करना
६. न दीन जन पर अन्धेर करना
७. न अपने अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना करना
 
उन्होंने अपने ह्रदय को पत्थर के समान कठोर बना दिया, इसलिए वे उन निर्देशों या संदेशों को नहीं सुन सके जो स्वर्ग की सेनाओं के प्रभु ने उन्हें अपनी आत्मा के द्वारा पहले के भविष्यवक्ताओं के माध्यम से भेजे थे। इसलिए स्वर्ग की सेनाओं का यहोवा उन पर इतना क्रोधित हुआ। (जकर्याह ७:१२ एनएलटी)
 

अपने हृदय को कठोर करने से आप यहोवा की निर्देश को नहीं सुन पाएंगे। यदि आप उनकी वाणी सुनते हो तो अपने हृदय को कठोर न करो जैसा विद्रोह के दिनों में होता था।
 
अत: सर्वशक्तिमान यहावा ने कहा, “मैं ने उन्हें पुकारा और उन्होंने उत्तर नहीं दिया। 
इसलिये अब यदि वे मुझे पुकारेंगे, तो मैं उत्तर नहीं दूँगा।. (जकर्याह ७:१३)

 
प्रार्थना में सबसे बड़ी रूकावट परमेश्वर के वचन को न सुनना और उसका पालन न करना है। यदि कोई व्यवस्था को सुनने से अपना कान फेर ले, तो उसकी प्रार्थना घृणित ठहरती है। (नीतिवचन २८:९)

Join our WhatsApp Channel

Chapters
  • अध्याय १
  • अध्याय २
  • अध्याय ३
  • अध्याय ६
  • अध्याय ७
पिछला
संपर्क
फ़ोन: +91 8356956746
+91 9137395828
व्हाट्स एप: +91 8356956746
ईमेल: [email protected]
पता :
10/15, First Floor, Behind St. Roque Grotto, Kolivery Village, Kalina, Santacruz East, Mumbai, Maharashtra, 400098
सामाजिक नेटवर्क पर हमारे साथ जुड़े रहें!
Download on the App Store
Get it on Google Play
मेलिंग सूची में शामिल हों
समन्वेष
इवेंट्स
सीधा प्रसारण
नोहाट्यूब
टी.वी.
दान
डेली मन्ना
स्तुती
अंगीकार
सपने
संपर्क
© 2025 Karuna Sadan, India.
➤
लॉग इन
कृपया इस साइट पर टिप्पणी और लाइक सामग्री के लिए अपने NOAH खाते में प्रवेश करें।
लॉग इन