यदि किसी के हठीला और दंगैत बेटा हो, जो अपने माता-पिता की बात न माने, किन्तु ताड़ना देने पर भी उनकी न सुने, तो उसके माता-पिता उसे पकड़कर अपने नगर से बाहर फाटक के निकट नगर के सियानों के पास ले जाएं, और वे नगर के सियानों से कहें, कि हमारा यह बेटा हठीला और दंगैत है, यह हमारी नहीं सुनता; यह उड़ाऊ और पियक्कड़ है।
तब उस नगर के सब पुरूष उसको पत्थरवाह करके मार डाले, यों तू अपने मध्य में से ऐसी बुराई को दूर करना, तब सारे इस्राएली सुनकर भय खाएंगे। (व्यवस्थाविवरण २१:१८-२१)
क्या हम खुश नहीं हैं कि हम पुराने नियम के समय के नहीं हैं?
यह सूचना बताती है कि माता-पिता को घर में आदेशक देने, अपने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने और छेड़छाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है।
यदि आप इस सूचना को ध्यान से पढ़ते हैं, तो आप देखेंगे कि माता-पिता ने स्पष्ट रूप से अपने बेटे के साथ काम करने का प्रयास किये थे - लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वह अपने अधिकार का उल्लंघन किया और सहयोग करने से मना कर दिया। इसके कारण वह एक भुक्खड़ और पियकड़ था।
सीधे शब्दों में, यह नवयुवक घर को "पृथ्वी पर नरक" में बदल रहा था। उसने समय के व्यवस्था के अनुसार इससे निपटने के लिए शहर के पुरखाओं को बुलाने के बजाय बिना किसी विकल्प के माता-पिता को छोड़ दिया।
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