हे भाईयों, अब मैं नहीं चाहता कि तुम आत्मा के वरदानों के विषय में अनजान रहो। (१ कुरिन्थियों १२:१)
पवित्र आत्मा ने प्रेरित पौलुस के माध्यम से कहा, "वह नहीं चाहता था कि मसीही लोग आत्मिक वरदानों विषय में अज्ञात रहे।"
१. यह अज्ञानता अक्सर शैतान और उसके सेवकों द्वारा चलाए जा रहे गलत सूचना अभियान (कभी-कभी साथी मसीहियों के रूप में भी मुखौटा) से उत्पन्न होती है।
२. अन्य समय में, मसीही केवल उचित जानकारी (ज्ञान) की कमी के कारण अज्ञानी होते हैं।
प्रेरित पौलुस ने उनके पत्रों में तीन बातों का उल्लेख किया है जो वह नहीं चाहता कि मसीहियों इससे अनजान रहे:
१. इस्राएल के लिए परमेश्वर की योजना से अनजान न रहे (रोमियो ११:२५)
२. आत्मिक वरदानों से अनजान न रहे (१ कुरिन्थियों १२:१)
३. यीशु के दूसरे आगमन और अनन्त राज्य के बारे में अनजान न रहे (१ थिस्सलुनीकियों ४:१३)
अफसोस की बात है कि बहुत सारे मसीही इन सटीक मुद्दों से अनजान हैं।
सो मैं तुम्हें बताता हूँ कि परमेश्वर के आत्मा की ओर से बोलने वाला कोई भी यह नहीं कहता, “यीशु को शाप लगे” और पवित्र आत्मा के द्वारा कहने वाले को छोड़ कर न कोई यह कह सकता है, “यीशु प्रभु है।” (१ कुरिन्थियों १२:३)
यीशु ने यह कहते हुए स्पष्ट किया कि जब पवित्र आत्मा आएगा, तो वह मेरी गवाही देगा (यूहन्ना १५:२६), और वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा (यूहन्ना १६:१४)। पवित्र आत्मा की सेवकाई स्वयं को या किसी व्यक्ति को बढ़ावा देने के लिए नहीं है, बल्कि यीशु की महिमा और प्रतिनिधित्व करने के लिए है। इसलिए, हम भरोसा कर सकते हैं कि पवित्र आत्मा की सच्ची सेवकाई यीशु के स्वभाव के अनुसार होगी।
हर एक को आत्मा के अलग-अलग वरदान मिले हैं। किन्तु उन्हें देने वाली आत्मा तो एक ही है। (१ कुरिन्थियों १२:४)
इस पद में, "वरदान" के लिए ग्रीक शब्द करिश्मा है, जिसका अर्थ है "अनुग्रह-वरदान," या "मुफ्त वरदान।"
हर किसी में आत्मा किसी न किसी रूप में प्रकट होता है जो हर एक की भलाई के लिये होता है। किसी को आत्मा के द्वारा परमेश्वर के ज्ञान से युक्त होकर बोलने की योग्यता दी गयी है तो किसी को उसी आत्मा द्वारा दिव्य ज्ञान के प्रवचन की योग्यता। और किसी को उसी आत्मा द्वारा विश्वास का वरदान दिया गया है तो किसी को चंगा करने की क्षमताएँ उसी आत्मा के द्वारा दी गयी हैं। और किसी अन्य व्यक्ति को आश्चर्यपूर्ण शक्तियाँ दी गयी हैं तो किसी दूसरे को परमेश्वर की और से बोलने का सामर्थ्य दिया गया है। और किसी को मिली है भली बुरी आत्माओं के अंतर को पहचानने की शक्ति। किसी को अलग-अलग भाषाएँ बोलने की शक्ति प्राप्त हुई है, तो किसी को भाषाओं की व्याख्या करके उनका अर्थ निकालने की शक्ति। (१ कुरिन्थियों १२:७-१०)
पौलुस ने इन नौ प्रकाशन को "आत्मिक वरदान" कहा। यहं "वरदान" के लिए ग्रीक (यूनानी) शब्द करिश्मा (प्रतिभा) है, जो पवित्र आत्मा द्वारा स्वतंत्र रूप से दिए गए एक विशेष दान को दर्शाता है। "वरदान" के लिए यह यूनानी शब्द १ कुरिन्थियों १२ (पद ४, ९, २८, ३०, ३१) में पांच बार प्रयोग किया गया है, और हर संदर्भ एक ही अध्याय में वर्णित नौ वरदानों को संदर्भित करता है।
नया नियम कई आत्मिक आशीषों का उल्लेख करता है और उन्हें वरदानों के रूप में वर्गीकृत करता है। ये सभी मसीहियों के लिए उपलब्ध हैं जो प्रभु पर विश्वास करते है और विश्वास से उनका अनुसरण करते है:
उद्धार का वरदान (इफिसियों २:८)
परमेश्वर के अनुग्रह का वरदान (इफिसियों ३:७)
धार्मिकता का वरदान (रोमियो ५:१७)
अनन्त जीवन का वरदान (रोमियों ६:२३)
वरदान जो वर्णन से बाहर है (२ कुरिन्थियों ९:१५)
दान देने का वरदान (फिलिप्पियों ४:१७)
पवित्र आत्मा का वरदान (प्रेरितों के काम २:३८)
आत्मिक वरदान (रोमियो १:११)
आत्मा के वरदान (१ कुरिन्थियों १२:७-१०)
इस सूची पर एक नज़र डालें और सोचें कि यह आपके लिए क्या सवाल उठता है।
"नए नियम के समय से इनमें से कितने वरदान समाप्त (बंद) हो गए हैं?"
"क्या परमेश्वर का अनुग्रह, उनकी धार्मिकता, अनन्त जीवन, या उद्धार समाप्त हो गया है?
"क्या कलीसियाएं आपके दशमांश या भेंट को अस्वीकार करती हैं क्योंकि दान देने का समाप्त पौलुस की मृत्यु के बाद समाप्त हो गया है?
फिर किसने मनुष्य को मसीह के देह को यह बताने का अधिकार दिया कि कलीसिया से आत्मिक वरदान या करिश्मा को हटा दिया गया है?
और इसी के परिणामस्वरूप तुम्हारे पास उसके किसी पुरस्कार की कमी नहीं है। तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रकट होने की प्रतिक्षा करते रहते हो। वह तुम्हें अन्त तक हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन एक दम निष्कलंक, खरा बनाये रखेगा। (१ कुरिन्थियों १२:७-८)
यह ध्यान देने योग्य है कि प्रेरित पौलुस के अनुसार, एक आत्मिक वरदान उस दिन तक रहेगा जब तक प्रभु यीशु मसीह की आगमन नहीं आएगा, और अंत तक आत्मिक रूप से स्थिर रहना आपके लिए यह परमेश्वर की इच्छा है।
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