किन्तु दाऊद ने अपने मन में सोचा, “शाऊल मुझे किसी दिन पकड़ लेगा। सर्वोत्तम बात मैं यही कर सकता हूँ कि पलिश्तियों के देश में बच निकलूँ। तब शाऊल मेरी खोज इस्राएल में बन्द कर देगा। इस प्रकार मैं शाऊल से बच निकलूँगा।” (1 शमूएल 27:1)
दाऊद ने यह कभी ऊंचे आवाज से नहीं कहा होगा; हो सकता है कि उसने इसे कभी किसी और से नहीं कहा हो; हो सकता है कि उसने इसे परमेश्वर से कभी नहीं कहा हो। परन्तु दाऊद ने अपने मन में कहा। हम अपने ह्रदय में जो कहते हैं, उसमें हमारी सोच, हमारे कार्यों और यहां तक कि हमारे पूरे नसीब को आकार देने की जबरदस्त सामर्थ होती है।
निराशा और मायूसी ने दाऊद को वादा किये गए देश को त्यागकर पलिश्तियों के पास जाने के लिए प्रेरित किया।
2 इसलिए दाऊद और उसके छ: सौ लोगों ने इस्राएल छोड़ दिया। वे माओक के पुत्र आकीश के पास गए। आकीश गत का राजा था। 3 दाऊद, उसके लोग और उनके परिवार आकीश के साथ गत में रहने लगे। दाऊद के साथ उसकी दो पत्नियाँ थीं। वे यिज्रेली की अहीनोअम और कर्मेल की अबीगैल थी। अबीगैल नाबाल की विधवा थी। (1 शमूएल 27:2-3)
दाऊद के हताशा और निराशा के हृदय ने न केवल उस पर प्रभाव डाला; और उसने छ:सौ पुरूषों और उनके परिवारों को वादा किये गए देश से दूर ले जाने के लिए प्रेरित किया, कि वे उन लोगों के साथ रहें, जिन्होंने इस्राएल के परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया था। इतना ही नहीं बल्कि दाऊद के घराने पर भी इस निर्णय का प्रभाव पड़ा क्योंकि दाऊद की दोनों पत्नियां अहीनोअम और अबीगैल उसके साथ उपस्थित थीं।
उस दिन आकीश ने दाऊद को सिकलग नगर दिया और तब से सिकलग सदा यहूदा के राजाओं का रहा है। (1 शमूएल 27:6)
आकीश ने इस बार दाऊद को ग्रहण किया जब वह १ शमूएल २१:१०-१५ में दो कारणों से नहीं आया।
१. अब यह स्पष्ट है कि अब दाऊद और आकीश एक ही शत्रु शाऊल के साझे थे। एक आम दुश्मन अक्सर लोगों को एकजुट करेगा।
२. दाऊद अब अपने साथ ६०० योद्धाओं को ले आया जिन्हें आकीश भाड़े के सैनिकों के रूप में उपयोग कर सकता था।
दाऊद ने यह कभी ऊंचे आवाज से नहीं कहा होगा; हो सकता है कि उसने इसे कभी किसी और से नहीं कहा हो; हो सकता है कि उसने इसे परमेश्वर से कभी नहीं कहा हो। परन्तु दाऊद ने अपने मन में कहा। हम अपने ह्रदय में जो कहते हैं, उसमें हमारी सोच, हमारे कार्यों और यहां तक कि हमारे पूरे नसीब को आकार देने की जबरदस्त सामर्थ होती है।
निराशा और मायूसी ने दाऊद को वादा किये गए देश को त्यागकर पलिश्तियों के पास जाने के लिए प्रेरित किया।
2 इसलिए दाऊद और उसके छ: सौ लोगों ने इस्राएल छोड़ दिया। वे माओक के पुत्र आकीश के पास गए। आकीश गत का राजा था। 3 दाऊद, उसके लोग और उनके परिवार आकीश के साथ गत में रहने लगे। दाऊद के साथ उसकी दो पत्नियाँ थीं। वे यिज्रेली की अहीनोअम और कर्मेल की अबीगैल थी। अबीगैल नाबाल की विधवा थी। (1 शमूएल 27:2-3)
दाऊद के हताशा और निराशा के हृदय ने न केवल उस पर प्रभाव डाला; और उसने छ:सौ पुरूषों और उनके परिवारों को वादा किये गए देश से दूर ले जाने के लिए प्रेरित किया, कि वे उन लोगों के साथ रहें, जिन्होंने इस्राएल के परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया था। इतना ही नहीं बल्कि दाऊद के घराने पर भी इस निर्णय का प्रभाव पड़ा क्योंकि दाऊद की दोनों पत्नियां अहीनोअम और अबीगैल उसके साथ उपस्थित थीं।
उस दिन आकीश ने दाऊद को सिकलग नगर दिया और तब से सिकलग सदा यहूदा के राजाओं का रहा है। (1 शमूएल 27:6)
आकीश ने इस बार दाऊद को ग्रहण किया जब वह १ शमूएल २१:१०-१५ में दो कारणों से नहीं आया।
१. अब यह स्पष्ट है कि अब दाऊद और आकीश एक ही शत्रु शाऊल के साझे थे। एक आम दुश्मन अक्सर लोगों को एकजुट करेगा।
२. दाऊद अब अपने साथ ६०० योद्धाओं को ले आया जिन्हें आकीश भाड़े के सैनिकों के रूप में उपयोग कर सकता था।
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