सात
और सात याजक सन्दूक के आगे आगे जुबली के सात नरसिंगे लिए हुए चलें,फिर सातवें दिन तुम नगर के चारों ओर सात बार घूमना,और याजक भी नरसिंगे फूंकते चलें।(यहोशू ६ः४) हम सभी को मालूम है इसके बाद में क्या हुआ।यरीहो की दीवारें टूट गईं और इस्राएलियों ने कनान देश में प्रवेश किया।सातवां नम्बर काम का सामप्त होना है।
प्रकाशित,बाइबल की प्रकाशित किताब में वह पूरा होता है अधिक सेवइंयां होती हैं।ये सात कलीसिया,सात मुहरें,सात तुरही,सात व्यक्ति,सात शीशियाँ,सात विकट,और सात नई वस्तुएं।
यशायाह के एक ११ः२ पद में: पवित्र आत्मा सात अलग.अलग तरीकों से यीशु पर स्थिर था ,और यहोवा की आत्मा,बुद्धि,और समझ युक्ति और पराक्रम कीआत्मा,और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी।हमारी इच्छा यह होनी चाहिए कि पवित्र आत्मा हमारे भीतर उन्हीं सात तरीकों से स्थिर करे।सातवां नम्बर भी परिपक्वता और पूर्णता की है।
क्रूस पर भी यीशु ने सात शब्द कहे।
तब यीशु ने कहाः हे पिता इन्हें क्षमा कर,क्योंकि से नहीं जानते कि क्या कर रहें है।(लूका २३ः३४)
आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।(लूका२३ः४३)
हे नारी,देख यह तेरा पुत्र है।(यूहन्ना १९ः२६)
हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?(मति २७ः४६)
मैं प्यासा हॅू।(यहून्ना 19ः28)
यीशु ने कहा पूरा हुआ।(१९ः३०)
मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूॅ।(२३ः४६)
कई बार सात एक वास्तविक संख्या के बजाय प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण होते हैं।जब भी आप सात पढ़ते हैं।यह हमेशा शाब्दिक रूप से नहीं होता है सात चीजें या सात घटनाएँ।आदर्श स्थिति या चीजों की सही तस्वीर यह संपूर्ण या पूर्ण होने का प्रतीक है।सात एक पूर्ण चक्र का गठन करता है।
और सात याजक सन्दूक के आगे आगे जुबली के सात नरसिंगे लिए हुए चलें,फिर सातवें दिन तुम नगर के चारों ओर सात बार घूमना,और याजक भी नरसिंगे फूंकते चलें।(यहोशू ६ः४) हम सभी को मालूम है इसके बाद में क्या हुआ।यरीहो की दीवारें टूट गईं और इस्राएलियों ने कनान देश में प्रवेश किया।सातवां नम्बर काम का सामप्त होना है।
प्रकाशित,बाइबल की प्रकाशित किताब में वह पूरा होता है अधिक सेवइंयां होती हैं।ये सात कलीसिया,सात मुहरें,सात तुरही,सात व्यक्ति,सात शीशियाँ,सात विकट,और सात नई वस्तुएं।
यशायाह के एक ११ः२ पद में: पवित्र आत्मा सात अलग.अलग तरीकों से यीशु पर स्थिर था ,और यहोवा की आत्मा,बुद्धि,और समझ युक्ति और पराक्रम कीआत्मा,और ज्ञान और यहोवा के भय की आत्मा उस पर ठहरी रहेगी।हमारी इच्छा यह होनी चाहिए कि पवित्र आत्मा हमारे भीतर उन्हीं सात तरीकों से स्थिर करे।सातवां नम्बर भी परिपक्वता और पूर्णता की है।
क्रूस पर भी यीशु ने सात शब्द कहे।
तब यीशु ने कहाः हे पिता इन्हें क्षमा कर,क्योंकि से नहीं जानते कि क्या कर रहें है।(लूका २३ः३४)
आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।(लूका२३ः४३)
हे नारी,देख यह तेरा पुत्र है।(यूहन्ना १९ः२६)
हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?(मति २७ः४६)
मैं प्यासा हॅू।(यहून्ना 19ः28)
यीशु ने कहा पूरा हुआ।(१९ः३०)
मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूॅ।(२३ः४६)
कई बार सात एक वास्तविक संख्या के बजाय प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण होते हैं।जब भी आप सात पढ़ते हैं।यह हमेशा शाब्दिक रूप से नहीं होता है सात चीजें या सात घटनाएँ।आदर्श स्थिति या चीजों की सही तस्वीर यह संपूर्ण या पूर्ण होने का प्रतीक है।सात एक पूर्ण चक्र का गठन करता है।
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