आत्मिक रीतियों के लिए अलग निर्धारित स्थान अथवा या प्रार्थना / आराधना, चाहे अच्छा हो या बुरा यह बलिदा
तैयारी का स्थान, इंतजार किया जाना अथवा परिपक्व होना, सेवकाई अथवा राज्य के कामों के लिए तैयार होना।