सारै ने कैसे परमेश्वर के वचन की गलत व्याख्या की?
यहोवा ने तो मेरी कोख बन्द कर रखी है सो मैं तुझ से बिनती करती हूं कि तू मेरी लौंडी के पास जा: सम्भव है कि मेरा घर उसके द्वारा बस जाए। (उत्पत्ति १६:२)
प्रभु से प्रत्यक्ष वचन प्राप्त करना एक अद्भुत अनुभव है लेकिन यह वास्तव में प्रभु की कही गई बातों का गलत अर्थ निकालने के लिए उतना ही खतरनाक है।
यहाँ हम देखते हैं कि सारै ने परमेश्वर द्वारा बताई गई बातों को गलत समझी 'शायद (मुमकिन) है'
एदेन के बगीचे में वापस, सर्प ने हव्वा से कहा, "क्या वास्तव में परमेश्वर का मतलब था?" यह परमेश्वर की कही गई बातों का गलत अर्थ निकालने की कोशिश थी।
सो सारै की यह बात अब्राम ने मान ली। सो जब अब्राम को कनान देश में रहते दस वर्ष बीत चुके तब उसकी स्त्री सारै ने अपनी मिस्री लौंडी हाजिरा को ले कर अपने पति अब्राम को दिया, कि वह उसकी पत्नी हो। और वह हाजिरा के पास गया, और वह गर्भवती हुई और जब उसने जाना कि वह गर्भवती है तब वह अपनी स्वामिनी को अपनी दृष्टि में तुच्छ समझने लगी। (उत्पत्ति १६:३-४)
इसका मतलब यह है कि अब्राहम बांझ नहीं था लेकिन वह सारा का गर्भ था जो बंद था।
हाजिरा ने सोचा होगा कि,"यह केवल ये हो सकता है कि सारै की मेरी स्वामिनी की तुलना में प्रभु से मैं बेहतर हूं।" सभी दिनों के लिए जो मेरी स्वामिनी मेरे स्वामी के साथ है, उसने गर्भ धारण नहीं किया, लेकिन मुझे प्रभु ने उनके द्वारा गर्भ धारण करने के लिए इतना कम समय दिया है।
तब यहोवा के दूत ने उसको जंगल में शूर के मार्ग पर जल के एक सोते के पास पाकर कहा, हे सारै की लौंडी हाजिरा, तू कहां से आती और कहां को जाती है? उसने कहा, मैं अपनी स्वामिनी सारै के साम्हने से भाग आई हूं। (उत्पत्ति १६:७-८)
भले ही उसने अब्राहम के बच्चे की गर्भ धारण की थी, इससे उसकी परमेश्वर के सामने पहचान नहीं बदली। वह अभी भी, हाजिरा, सारै की नौकरानी’थी। आपकी पहचान तब तक नहीं बदलती है जब तक प्रभु ऐसा नहीं करते।
क्या आप इन दो सवालों का ईमानदारी से जवाब दे सकते हैं?
तब यहोवा के दूत ने उसको जंगल में शूर के मार्ग पर जल के एक सोते के पास पाकर कहा, हे सारै की लौंडी हाजिरा, तू कहां से आती और कहां को जाती है? उसने कहा, मैं अपनी स्वामिनी सारै के साम्हने से भाग आई हूं। (उत्पत्ति १६:७-८)
आप कहां से आए हैं और कहां जाने वाले है?
अगर कोई व्यक्ति इन दोनों सवालों का ईमानदारी से उत्तर दे सकते है तो आप सुरक्षित हैं।
प्रभु यीशु को पता था कि वह कहाँ से आया है और वह कहाँ जाने वाला है।
यीशु ने यह जानकर कि पिता ने सब कुछ मेरे हाथ में कर दिया है और मैं परमेश्वर के पास से आया हूं, और परमेश्वर के पास जाता हूं। (यूहन्ना १३:३)
यहोवा ने हाजिरा से सारै के अधीन होने को क्यों कहा?
यहोवा के दूत ने उससे कहा, अपनी स्वामिनी के पास लौट जा और उसके (अधीन) वश में रह। (उत्पत्ति १६:९)
हाजिरा को अधीन रहने और विरुद्ध नहीं रहने के लिए कहा गया था। किसी भी व्यक्ति का आदत विरुद्ध या विद्रोही होती है। लेकिन अधीनता रहने में एक आशीष है। आशीष उस व्यक्ति से नहीं मिलता है जिसके आप अधीन में रहते है लेकिन प्रभु से है।
इश्माएल के विषय में भविष्यवाणियाँ?
वह मनुष्य बनैले गदहे के समान होगा
उसका हाथ सबके विरुद्ध उठेगा,
और सब के हाथ उसके विरुद्ध उठेंगे;
और वह अपने सब भाई बन्धुओं के मध्य में बसा रहेगा। (उत्पत्ति १६:१२)
१. वह एक बनैले गदहे के समान होगा
यह घुमंतू (आवारा) स्थिति के जीवन का सुझाव देता है
२. उसका हाथ सबके विरुद्ध उठेगा
और सब के हाथ उसके विरुद्ध उठेंगे
इश्माएल का हाथ "हर व्यक्ति के खिलाफ उठना" यह इशारा करता है कि वह एक ऐसा व्यक्ति होगा जो लड़ेगा और बहुत विवाद और संघर्ष पैदा करेगा। इसका अर्थ "युद्ध जैसी स्वाभाव का" है।
३. मैं तेरे वंश को बहुत बढ़ाऊंगा, यहां तक कि बहुतायत के कारण उसकी गणना न हो सकेगी। (उत्पत्ति १६:१०)
इश्माएल बड़ा हुआ, एक मिस्र की महिला से शादी की, और बारह बेटों को जनम दिया जो उनके अपने जनजातियों का प्रधान बने (उत्पत्ति २५:१२-१६ देखें) - ठीक भविष्यवाणी के रूप में।
ये लोगों ने हविला (शायद NW अरब में) और शूर (मिस्र की सीमा के पास) इस क्षेत्र में बसे हुए थे, और कई लोगों में से एक थे जो अरबों के पूर्वज थे। अरब मूल के कई मुसलमान इश्माएल के माध्यम से अपने वंश का पता इब्राहीम से लगाते हैं।
तब उसने यहोवा का नाम जिसने उससे बातें की थीं, अत्ताएलरोई रखकर कहा कि, क्या मैं यहां भी उसको जाते हुए देखने पाई जो मेरा देखनेहारा है? (उत्पत्ति १६:१३)
आप ही वो परमेश्वर है जो देखते है: हाजिरा जानता था कि यह कोई मात्र स्वर्दूत नहीं थी जो उसे दिखाई देती थी। प्रभु का दूत भी वो परमेश्वर है जो देखता है, वही जो हाजिरा और इश्माएल को देखता है।
इश्माएल बाइबल में पहला व्यक्ति था जिसने जन्म लेने से पहले अपना नाम प्राप्त किया था।
अब्राम ने अपने बेटे का नाम इश्माएल क्यों रखा?
सो हाजिरा अब्राम के द्वारा एक पुत्र जनी: और अब्राम ने अपने पुत्र का नाम, जिसे हाजिरा जनी, इश्माएल रखा। ((उत्पत्ति १६:१५)
दिलचस्प बात यह है कि अब्राम ने उस बच्चे का नाम वही रखा जिसे हाजिरा ने इश्माएल रखा था। हाजिरा ने अब्राम को परमेश्वर के साथ अपनी मुलाकात के बारे में अवश्य बताया होगा। अब्राम को इसका श्रेय दिया जाना चाहिए कि उसने उसकी मुलाकात को सतही रूप से पारित नहीं किया और बच्चे को 'इश्माएल' नाम देकर उसका समर्थन किया, जैसा कि परमेश्वर ने कहा था।
Chapters
- अध्याय १
- अध्याय २
- अध्याय ३
- अध्याय ४
- अध्याय ५
- अध्याय ६
- अध्याय ७
- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- उत्पत्ति १३
- उत्पत्ति १४
- उत्पत्ति १५
- उत्पत्ति १६
- अध्याय १७
- अध्याय १८
- अध्याय १९
- अध्याय २०
- अध्याय २१
- अध्याय - २२
- अध्याय - २३
- अध्याय २४
- अध्याय २५
- अध्याय - २६
- अध्याय २७
- अध्याय २८
- अध्याय २९
- अध्याय ३०
- अध्याय ३१
- अध्याय ३२
- अध्याय ३३
- अध्याय ३४
- अध्याय ३५
- अध्याय ३६
- अध्याय ३७
- अध्याय ३८
- अध्याय ३९
- अध्याय ४०
- अध्याय ४१
- अध्याय ४२
- अध्याय ४३
- अध्याय ४४
- अध्याय ४५
- अध्याय ४६
- अध्याय ४७
- अध्याय ४८
- अध्याय ४९
- अध्याय ५०