यीशु यरीहो में प्रवेश करके नगर से होकर जा रहा था 2 वहाँ जक्कई नाम का एक व्यक्ति भी मौजूद था। वह कर वसूलने वालों का मुखिया था। सो वह बहुत धनी था।. (लूका 19:1-2)
ज़क्कई यरीहो नगर में रहता था। उन्हें उसी तरह से बदनाम के दुष्ट चरित्र के रूप में माना जाता था, जिस तरह से रोमी साम्राज्य के लिए काम करने वाले चुंगी लेनेवाला सरदार के रूप में माना जाता था: आत्म-समृद्ध, भ्रष्ट, और यहूदी समुदाय को धोखा देना।
लेकिन जक्कई सिर्फ एक चुंगी लेनेवाला सरदार नहीं था, वह एक मुख्य चुंगी लेनेवाला सरदार था, जिसका अर्थ था कि वह अन्य चुंगी लेनेवाले संग्रहकर्ताओं के प्रभारी होने के कारण अपवित्र (बुरा) अमीर हो रहा था। विडंबना यह है कि जक्कई नाम का अर्थ "शुद्ध (अपवित्र)" है।
वह यह देखने का जतन कर रहा था कि यीशु कौन है, पर भीड़ के कारण वह देख नहीं पा रहा था क्योंकि उसका कद छोटा था। 4 सो वह सब के आगे दौड़ता हुआ एक गूलर के पेड़ पर जा चढ़ा ताकि, वह उसे देख सके क्योंकि यीशु को उसी रास्ते से होकर निकलना था। (लूका 19:3-4)
जक्कई यीशु को देखने के लिए उत्सुक था। वह उन पर एक नज़र डालने की कोशिश करता रहा और इसलिए उसने वह सब किया जो वह कर सकता था। यीशु को देखने की इच्छा पूरी हुई। प्रभु को खोजते रहो, तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी।
जक्कई एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया। इस पेड़ को पहले से ही प्रभु ने यह जानते हुए लगाया था कि एक दिन जक्कई को उसे देखने के लिए इसकी जरुरत होगी।यह उनकी दया में है कि परमेश्वर ने उन लोगों के लिए अग्रिम रूप से तैयार किया है जो उनसे प्रेम करते हैं। (१ कुरिन्थियों २:९)। इसके अलावा, हम नीतिवचन में पढ़ते हैं,
फिर जब यीशु उस स्थान पर आया तो उसने ऊपर देखते हुए जक्कई से कहा, “जक्कई, जल्दी से नीचे उतर आ क्योंकि मुझे आज तेरे ही घर ठहरना है।” 6 सो उसने झटपट नीचे उतर प्रसन्नता के साथ उसका स्वागत किया। (लूका 19:5-6)
तब जक्कई पेड़ से नीचे उतरा और यीशु के रूबरू आया। (लूका १९:६ टीपीटी) - यीशु के साथ आमने-सामने।
किन्तु जक्कई खड़ा हुआ और प्रभु से बोला, “हे प्रभु, देख, मैं अपनी सारी सम्पत्ति का आधा गरीबों को दे दूँगा और यदि मैंने किसी का छल से कुछ भी लिया है तो उसे चौगुना करके लौटा दूँगा!” (लूका 19:8)
आज तक, मैंने कभी नहीं देखा कि उद्धार पाने के बाद भी लोग जो गलत तरीके से लिए थे उसे वापस देते हैं। उद्धार प्राप्त करने के बाद प्रयास करें और संशोधन करें। वही आपका उद्धार का फल होगा।
फिलिप्पियों २:१२ कहता है कि, "अपने अपने उद्धार का कार्य पूरा करते जाओ" ध्यान दें कि यह नहीं कहता है, अपने उद्धार के लिए कार्य करें क्योंकि यह हमारे कार्यों से नहीं है कि हम उद्धार स्वीकार करते हैं। अच्छे कामों से उद्धार नहीं मिलता, लेकिन उद्धार से अच्छे काम होते हैं।
यीशु ने उससे कहा, “इस घर पर आज उद्धार आया है, क्योंकि यह व्यक्ति भी इब्राहीम की ही एक सन्तान है। 10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र जो कोई खो गया है, उसे ढूँढने और उसकी रक्षा के लिए आया है।” (लूका 19:9)
पापी से खोजने वाले से पीछा करनेवाले तक, जक्कई उस परिवर्तन का उदाहरण बन गया जो मसीह के कारण हमारे जीवन में होता है।
“किन्तु उसने राजा की पदवी पा ली। फिर जब वह वापस घर लौटा तो जिन सेवकों को उसने धन दिया था उनको यह जानने के लिए कि उन्होंने क्या लाभ कमाया है, उसने बुलावा भेजा। (लूका 19:15)
धनी मनुष्य ने लौटने के बाद अपने दासों से लेन-देन के बारे में पूछा।
लेन-देन के बारे में (विवरण या रिपोर्ट) के ३ महत्वपूर्ण कारण
१. निर्णय लेने का साधन
एक विवरण में प्रस्तुत जानकारी के आधार पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।
२. छानबीन करना (पूछताछ करना)
यदि कोई मसला या समस्या है, तो एक विवरण मसला या समस्या के पीछे के कारण का पता लगाने में मदद कर सकती है।
३. मूल्यांकन करना
कभी-कभी, कार्य के पैमाने के कारण, सकल प्रबंधन करना संभव नहीं होता है। ऐसे समय में, एक रिपोर्ट विभिन्न विभागों या इकाइयों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में मदद करेगी। इन तीनों सिद्धांतों को अपने दासों के साथ व्यवहार करने में धनी मनुष्य के कार्यों में देख सकते है।
इस पर उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘उत्तम सेवक, तूने अच्छा किया। क्योंकि तू इस छोटी सी बात पर विश्वास के योग्य रहा। तू दस नगरों का अधिकारी होगा।’ (लूका 19:17)
विश्वासयोगय के अनुसार अधिकार भी प्रत्यायोजित किया जाता है। दास बहुत कम में वफादार था और इसलिए उसे दस शहरों पर अधिकार दिया गया जो महत्वपूर्ण है।
आपके उन्नति की मात्रा (डिग्री) आपके अधिकार की मात्रा है
पहिला दास ने १० गुणा गुणा किया, उसका १० नगरों पर अधिकार था
दूसरे दास ने ५ गुणा गुणा किया, उसका ५ नगरों पर अधिकार था
'धन्य! तूने अच्छा किया है, मेरे उत्तम दास। (लूका १९:१७ टीपीटी)
कुछ दास हैं और फिर कुछ उत्तम दास हैं
हे स्वामी देख, मैं तेरे डर में रहता हूं, क्योंकि हर कोई जानता है कि तू एक सख्त स्वमी है और संतुष्ट करना असंभव है। तू हमें उस सब पर उच्च पाने के लिए प्रेरित करता हैं जो तेरे पास है, और तू हमेशा किसी और के प्रयासों से लाभ प्राप्त करना चाहता हैं। (लूका १९:२१ टीपीटी)
दास ने सचमुच अपने स्वामी पर आरोप लगाया।
‘अरे दुष्ट सेवक, मैं तेरे अपने ही शब्दों के आधार पर तेरा न्याय करूँगा (लूका 19:22)
हमारे मुंह से निकले हुए बात परमेश्वर और मनुष्य के सामने परिणाम लता हैं।
"'हां,' राजा ने उत्तर दिया। 'परन्तु उन सभों को जो विश्वासयोग्य रहे हैं, उन्हें और भी अधिक दिया जाएगा। (लूका १९:२६ टीपीटी)
जो आपको सौंपा गया है उसमें विश्वासयोग्य होना अधिक प्राप्त करने की कुंजी है।
मोहर का दृष्टांत हमें इस बात का स्पष्ट विचार देता है कि परमेश्वर हमसे क्या अपेक्षा करता है। हमारे पास जो कुछ भी है, उसकी रक्षा करने के बजाय, हमें उसे गुणा करना चाहिए।
"गुणा करना" में हमेशा जोखिम का एक तत्व शामिल होगा, लेकिन उसी में लगे रहने का विकल्प परिणाम नहीं देता है। वास्तव में, यह अक्सर डर पर आधारित होता है। याद रखें, हमें जो वरदान दिए गए हैं, वे परमेश्वर का हैं, हमारे नहीं। भविष्य के डर से अपने समय, धन, रिश्तों, या प्रतिभा को कम उपयोग करना हमारे लिए बहुत शर्म की बात होगी। परमेश्वर चाहता है कि हम उसके राज्य को आगे बढ़ाएं। ऐसा करने के लिए, हमें अपने साधनों के साथ सक्रिय होना चाहिए।
३१ और यदि कोई तुम को रोके और पूछे, 'कि तुम क्या कर रहा है?' तो उन से यह कहना, 'कि यह हमारे प्रभु के लिए जरुरत है।' ३४ चेलों ने उत्तर दिया, "कि हमारे प्रभु के लिए यह गदहे की जरुरत है।" (लूका १९:३१,३४ टीपीटी)
कुछ चीजों के लिए परमेश्वर हैं, कई चीजों के लिए परमेश्वर हैं और फिर वह सभी के लिए परमेश्वर हैं।
वे उस गदेह को यीशु के पास ले आए। तब उन्होंने अपनी प्रार्थना की कपडे उनकी पीठ पर रखी, और यीशु उस पर सवार होकर जैतून पहाड़ से यरूशलेम की ओर गया। जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा, लोगों ने खुद से ही अपने प्रार्थना कपडे को उनके सामने एक शतरंजी की तरह मार्ग पर बिछा दिया। (लूका १९:३५-३६ टीपीटी)
प्रभु यीशु केवल गधे पर ही सवार नहीं हुए; वह अपने चेलों की प्रार्थना पर सवार हुए। यहां तक कि उनका गधा भी लोगों की प्रार्थना कपडे पर चलता था। यह संयुक्त मध्यस्थी है जो यीशु को यरूशलेम में ले आई। यह निरंतर मध्यस्थता होगी जो यीशु को वापस यरूशलेम में, कलीसिया में, एक शहर में वापस लाएगी।
जब उसने पास आकर नगर को देखा तो वह उस पर रो पड़ा। 42 और बोला, “यदि तू बस आज यह जानता कि शान्ति तुझे किस से मिलेगी किन्तु वह अभी तेरी आँखों से ओझल है। (लूका 19:41-42)
प्रभु यीशु ने लोगों से कहा, ऐसी बातें हैं जो तुम्हें शांति दिलाती हैं, परन्तु वे उनकी आंखों से छिपी हुई हैं। मेरा मानना है कि ऐसी चीजें हैं जो हमारी शांति, हमारी समृद्धि, हमारे भविष्य आदि की भरपाई कर सकती हैं। यदि आप उन चीजों को नहीं देखते हैं तो हम उन तक कैसे पहुंच सकते हैं? हमारी आत्मिक आंखें खुलने की जरूरत है ताकि हम उन चीजों को देख सकें।
वे दिन तुझ पर आयेंगे जब तेरे शत्रु चारों ओर बाधाएँ खड़ी कर देंगे। वे तुझे घेर लेंगे और चारों ओर से तुझ पर दबाव डालेंगे। 44 वे तुझे धूल में मिला देंगे-तुझे और तेरे भीतर रहने वाले तेरे बच्चों को। तेरी चारदीवारी के भीतर वे एक पत्थर पर दूसरा पत्थर नहीं रहने देंगे। क्योंकि जब परमेश्वर तेरे पास आया, तूने उस घड़ी को नहीं पहचाना।” (लूका 19:43-44)
यीशु ने अनिवार्य रूप से जो कहा था, वह था, "क्यूंकि वे परमेश्वर के आने के दिन को नहीं पहचानते थे, उनकी तबाही का दिन आ रहा था!"। यहां एक सिद्धांत है: यदि कोई परमेश्वर के आने के दिन को पहचान सकता है तो आपको तबाही के दिन से दूर रखा जाएगा। (लूका १९:४४) आपकी यात्रा का समय न जानने से आपके जीवन में शत्रु का हाथ रहेगा। विवेक का मुख्य महत्व है।
ज़क्कई यरीहो नगर में रहता था। उन्हें उसी तरह से बदनाम के दुष्ट चरित्र के रूप में माना जाता था, जिस तरह से रोमी साम्राज्य के लिए काम करने वाले चुंगी लेनेवाला सरदार के रूप में माना जाता था: आत्म-समृद्ध, भ्रष्ट, और यहूदी समुदाय को धोखा देना।
लेकिन जक्कई सिर्फ एक चुंगी लेनेवाला सरदार नहीं था, वह एक मुख्य चुंगी लेनेवाला सरदार था, जिसका अर्थ था कि वह अन्य चुंगी लेनेवाले संग्रहकर्ताओं के प्रभारी होने के कारण अपवित्र (बुरा) अमीर हो रहा था। विडंबना यह है कि जक्कई नाम का अर्थ "शुद्ध (अपवित्र)" है।
वह यह देखने का जतन कर रहा था कि यीशु कौन है, पर भीड़ के कारण वह देख नहीं पा रहा था क्योंकि उसका कद छोटा था। 4 सो वह सब के आगे दौड़ता हुआ एक गूलर के पेड़ पर जा चढ़ा ताकि, वह उसे देख सके क्योंकि यीशु को उसी रास्ते से होकर निकलना था। (लूका 19:3-4)
जक्कई यीशु को देखने के लिए उत्सुक था। वह उन पर एक नज़र डालने की कोशिश करता रहा और इसलिए उसने वह सब किया जो वह कर सकता था। यीशु को देखने की इच्छा पूरी हुई। प्रभु को खोजते रहो, तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी।
जक्कई एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया। इस पेड़ को पहले से ही प्रभु ने यह जानते हुए लगाया था कि एक दिन जक्कई को उसे देखने के लिए इसकी जरुरत होगी।यह उनकी दया में है कि परमेश्वर ने उन लोगों के लिए अग्रिम रूप से तैयार किया है जो उनसे प्रेम करते हैं। (१ कुरिन्थियों २:९)। इसके अलावा, हम नीतिवचन में पढ़ते हैं,
फिर जब यीशु उस स्थान पर आया तो उसने ऊपर देखते हुए जक्कई से कहा, “जक्कई, जल्दी से नीचे उतर आ क्योंकि मुझे आज तेरे ही घर ठहरना है।” 6 सो उसने झटपट नीचे उतर प्रसन्नता के साथ उसका स्वागत किया। (लूका 19:5-6)
तब जक्कई पेड़ से नीचे उतरा और यीशु के रूबरू आया। (लूका १९:६ टीपीटी) - यीशु के साथ आमने-सामने।
किन्तु जक्कई खड़ा हुआ और प्रभु से बोला, “हे प्रभु, देख, मैं अपनी सारी सम्पत्ति का आधा गरीबों को दे दूँगा और यदि मैंने किसी का छल से कुछ भी लिया है तो उसे चौगुना करके लौटा दूँगा!” (लूका 19:8)
आज तक, मैंने कभी नहीं देखा कि उद्धार पाने के बाद भी लोग जो गलत तरीके से लिए थे उसे वापस देते हैं। उद्धार प्राप्त करने के बाद प्रयास करें और संशोधन करें। वही आपका उद्धार का फल होगा।
फिलिप्पियों २:१२ कहता है कि, "अपने अपने उद्धार का कार्य पूरा करते जाओ" ध्यान दें कि यह नहीं कहता है, अपने उद्धार के लिए कार्य करें क्योंकि यह हमारे कार्यों से नहीं है कि हम उद्धार स्वीकार करते हैं। अच्छे कामों से उद्धार नहीं मिलता, लेकिन उद्धार से अच्छे काम होते हैं।
यीशु ने उससे कहा, “इस घर पर आज उद्धार आया है, क्योंकि यह व्यक्ति भी इब्राहीम की ही एक सन्तान है। 10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र जो कोई खो गया है, उसे ढूँढने और उसकी रक्षा के लिए आया है।” (लूका 19:9)
पापी से खोजने वाले से पीछा करनेवाले तक, जक्कई उस परिवर्तन का उदाहरण बन गया जो मसीह के कारण हमारे जीवन में होता है।
“किन्तु उसने राजा की पदवी पा ली। फिर जब वह वापस घर लौटा तो जिन सेवकों को उसने धन दिया था उनको यह जानने के लिए कि उन्होंने क्या लाभ कमाया है, उसने बुलावा भेजा। (लूका 19:15)
धनी मनुष्य ने लौटने के बाद अपने दासों से लेन-देन के बारे में पूछा।
लेन-देन के बारे में (विवरण या रिपोर्ट) के ३ महत्वपूर्ण कारण
१. निर्णय लेने का साधन
एक विवरण में प्रस्तुत जानकारी के आधार पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।
२. छानबीन करना (पूछताछ करना)
यदि कोई मसला या समस्या है, तो एक विवरण मसला या समस्या के पीछे के कारण का पता लगाने में मदद कर सकती है।
३. मूल्यांकन करना
कभी-कभी, कार्य के पैमाने के कारण, सकल प्रबंधन करना संभव नहीं होता है। ऐसे समय में, एक रिपोर्ट विभिन्न विभागों या इकाइयों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में मदद करेगी। इन तीनों सिद्धांतों को अपने दासों के साथ व्यवहार करने में धनी मनुष्य के कार्यों में देख सकते है।
इस पर उसके स्वामी ने उससे कहा, ‘उत्तम सेवक, तूने अच्छा किया। क्योंकि तू इस छोटी सी बात पर विश्वास के योग्य रहा। तू दस नगरों का अधिकारी होगा।’ (लूका 19:17)
विश्वासयोगय के अनुसार अधिकार भी प्रत्यायोजित किया जाता है। दास बहुत कम में वफादार था और इसलिए उसे दस शहरों पर अधिकार दिया गया जो महत्वपूर्ण है।
आपके उन्नति की मात्रा (डिग्री) आपके अधिकार की मात्रा है
पहिला दास ने १० गुणा गुणा किया, उसका १० नगरों पर अधिकार था
दूसरे दास ने ५ गुणा गुणा किया, उसका ५ नगरों पर अधिकार था
'धन्य! तूने अच्छा किया है, मेरे उत्तम दास। (लूका १९:१७ टीपीटी)
कुछ दास हैं और फिर कुछ उत्तम दास हैं
हे स्वामी देख, मैं तेरे डर में रहता हूं, क्योंकि हर कोई जानता है कि तू एक सख्त स्वमी है और संतुष्ट करना असंभव है। तू हमें उस सब पर उच्च पाने के लिए प्रेरित करता हैं जो तेरे पास है, और तू हमेशा किसी और के प्रयासों से लाभ प्राप्त करना चाहता हैं। (लूका १९:२१ टीपीटी)
दास ने सचमुच अपने स्वामी पर आरोप लगाया।
‘अरे दुष्ट सेवक, मैं तेरे अपने ही शब्दों के आधार पर तेरा न्याय करूँगा (लूका 19:22)
हमारे मुंह से निकले हुए बात परमेश्वर और मनुष्य के सामने परिणाम लता हैं।
"'हां,' राजा ने उत्तर दिया। 'परन्तु उन सभों को जो विश्वासयोग्य रहे हैं, उन्हें और भी अधिक दिया जाएगा। (लूका १९:२६ टीपीटी)
जो आपको सौंपा गया है उसमें विश्वासयोग्य होना अधिक प्राप्त करने की कुंजी है।
मोहर का दृष्टांत हमें इस बात का स्पष्ट विचार देता है कि परमेश्वर हमसे क्या अपेक्षा करता है। हमारे पास जो कुछ भी है, उसकी रक्षा करने के बजाय, हमें उसे गुणा करना चाहिए।
"गुणा करना" में हमेशा जोखिम का एक तत्व शामिल होगा, लेकिन उसी में लगे रहने का विकल्प परिणाम नहीं देता है। वास्तव में, यह अक्सर डर पर आधारित होता है। याद रखें, हमें जो वरदान दिए गए हैं, वे परमेश्वर का हैं, हमारे नहीं। भविष्य के डर से अपने समय, धन, रिश्तों, या प्रतिभा को कम उपयोग करना हमारे लिए बहुत शर्म की बात होगी। परमेश्वर चाहता है कि हम उसके राज्य को आगे बढ़ाएं। ऐसा करने के लिए, हमें अपने साधनों के साथ सक्रिय होना चाहिए।
३१ और यदि कोई तुम को रोके और पूछे, 'कि तुम क्या कर रहा है?' तो उन से यह कहना, 'कि यह हमारे प्रभु के लिए जरुरत है।' ३४ चेलों ने उत्तर दिया, "कि हमारे प्रभु के लिए यह गदहे की जरुरत है।" (लूका १९:३१,३४ टीपीटी)
कुछ चीजों के लिए परमेश्वर हैं, कई चीजों के लिए परमेश्वर हैं और फिर वह सभी के लिए परमेश्वर हैं।
वे उस गदेह को यीशु के पास ले आए। तब उन्होंने अपनी प्रार्थना की कपडे उनकी पीठ पर रखी, और यीशु उस पर सवार होकर जैतून पहाड़ से यरूशलेम की ओर गया। जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा, लोगों ने खुद से ही अपने प्रार्थना कपडे को उनके सामने एक शतरंजी की तरह मार्ग पर बिछा दिया। (लूका १९:३५-३६ टीपीटी)
प्रभु यीशु केवल गधे पर ही सवार नहीं हुए; वह अपने चेलों की प्रार्थना पर सवार हुए। यहां तक कि उनका गधा भी लोगों की प्रार्थना कपडे पर चलता था। यह संयुक्त मध्यस्थी है जो यीशु को यरूशलेम में ले आई। यह निरंतर मध्यस्थता होगी जो यीशु को वापस यरूशलेम में, कलीसिया में, एक शहर में वापस लाएगी।
जब उसने पास आकर नगर को देखा तो वह उस पर रो पड़ा। 42 और बोला, “यदि तू बस आज यह जानता कि शान्ति तुझे किस से मिलेगी किन्तु वह अभी तेरी आँखों से ओझल है। (लूका 19:41-42)
प्रभु यीशु ने लोगों से कहा, ऐसी बातें हैं जो तुम्हें शांति दिलाती हैं, परन्तु वे उनकी आंखों से छिपी हुई हैं। मेरा मानना है कि ऐसी चीजें हैं जो हमारी शांति, हमारी समृद्धि, हमारे भविष्य आदि की भरपाई कर सकती हैं। यदि आप उन चीजों को नहीं देखते हैं तो हम उन तक कैसे पहुंच सकते हैं? हमारी आत्मिक आंखें खुलने की जरूरत है ताकि हम उन चीजों को देख सकें।
वे दिन तुझ पर आयेंगे जब तेरे शत्रु चारों ओर बाधाएँ खड़ी कर देंगे। वे तुझे घेर लेंगे और चारों ओर से तुझ पर दबाव डालेंगे। 44 वे तुझे धूल में मिला देंगे-तुझे और तेरे भीतर रहने वाले तेरे बच्चों को। तेरी चारदीवारी के भीतर वे एक पत्थर पर दूसरा पत्थर नहीं रहने देंगे। क्योंकि जब परमेश्वर तेरे पास आया, तूने उस घड़ी को नहीं पहचाना।” (लूका 19:43-44)
यीशु ने अनिवार्य रूप से जो कहा था, वह था, "क्यूंकि वे परमेश्वर के आने के दिन को नहीं पहचानते थे, उनकी तबाही का दिन आ रहा था!"। यहां एक सिद्धांत है: यदि कोई परमेश्वर के आने के दिन को पहचान सकता है तो आपको तबाही के दिन से दूर रखा जाएगा। (लूका १९:४४) आपकी यात्रा का समय न जानने से आपके जीवन में शत्रु का हाथ रहेगा। विवेक का मुख्य महत्व है।
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