पहिले महीने के पहिले दिन को वह बाबेल से चल दिया (एज्रा ७:९)
एज्रा ने बाबुल से यरूशलेम तक की यात्रा साल के पहले दिन को आरम्भ की। हम सभी जानते हैं कि बाबुल दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है और यरुशलम शांति का शहर है...जहां शांति का राजा शासन करता है। शांति के राजा की ओर अपनी आत्मिक यात्रा शुरू करने का यह एक भविष्यवाणी का समय है।
एज्रा ने अपना पूरा समय और ध्यान यहोवा के नियमों को पढ़ने और उनके पालन करने में दिय। एज्रा इस्राएल के लोगों को यहोवा के नियमों और आदेशों की शिक्षा देना चाहता था (एज्रा 7:10)
हम कह सकते हैं कि जो कोई भी परमेश्वर के वचन की घोषणा द्वारा दूसरों के जीवन को प्रभावित करना चाहता है, उसे सफल होने के लिए इन तीनों उद्देश्यों का होना जरुरी है।
• सबसे पहले, यहोवा की व्यवस्था की खोज करना।
यह प्रकट करता है कि जो सक्रिय रूप से परमेश्वर के वचन की खोज करते हैं और उनके वचन में परमेश्वर के साथ सहभागिता करते हैं, वे ही परमेश्वर के वचन के पूर्ण प्रभाव का अनुभव करने में सक्षम हैं।
• दूसरा, वचन के अनुदार चलना।
यह प्रकट करता है कि जो लोग न केवल वचन को सुननेवाले नहीं बल्कि संदेश के सच्चे रूप से चलनेवाले भी हैं जो परमेश्वर के वचन के पूर्ण प्रभाव का अनुभव करने में सक्षम हैं। केवल इसे जान लेना ही काफी नहीं है; इसे के अनुसार जीना भी चाहिए।
• तीसरा, सिखाने के लिए।
यह प्रकट करता है कि जो लोग सच में दूसरों को परमेश्वर का वचन सिखाते हैं वे ही इसके पूर्ण प्रभाव के लिए जिम्मेदार हैं। परमेश्वर के वचन का निर्देश वह माध्यम है जिसके द्वारा ज्ञान की खोज और अनुभव प्राप्त करने के माध्यम से प्राप्त अंतर्दृष्टि को व्यवहार में लाना चाहिए।
एज्रा ने बाबुल से यरूशलेम तक की यात्रा साल के पहले दिन को आरम्भ की। हम सभी जानते हैं कि बाबुल दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है और यरुशलम शांति का शहर है...जहां शांति का राजा शासन करता है। शांति के राजा की ओर अपनी आत्मिक यात्रा शुरू करने का यह एक भविष्यवाणी का समय है।
एज्रा ने अपना पूरा समय और ध्यान यहोवा के नियमों को पढ़ने और उनके पालन करने में दिय। एज्रा इस्राएल के लोगों को यहोवा के नियमों और आदेशों की शिक्षा देना चाहता था (एज्रा 7:10)
हम कह सकते हैं कि जो कोई भी परमेश्वर के वचन की घोषणा द्वारा दूसरों के जीवन को प्रभावित करना चाहता है, उसे सफल होने के लिए इन तीनों उद्देश्यों का होना जरुरी है।
• सबसे पहले, यहोवा की व्यवस्था की खोज करना।
यह प्रकट करता है कि जो सक्रिय रूप से परमेश्वर के वचन की खोज करते हैं और उनके वचन में परमेश्वर के साथ सहभागिता करते हैं, वे ही परमेश्वर के वचन के पूर्ण प्रभाव का अनुभव करने में सक्षम हैं।
• दूसरा, वचन के अनुदार चलना।
यह प्रकट करता है कि जो लोग न केवल वचन को सुननेवाले नहीं बल्कि संदेश के सच्चे रूप से चलनेवाले भी हैं जो परमेश्वर के वचन के पूर्ण प्रभाव का अनुभव करने में सक्षम हैं। केवल इसे जान लेना ही काफी नहीं है; इसे के अनुसार जीना भी चाहिए।
• तीसरा, सिखाने के लिए।
यह प्रकट करता है कि जो लोग सच में दूसरों को परमेश्वर का वचन सिखाते हैं वे ही इसके पूर्ण प्रभाव के लिए जिम्मेदार हैं। परमेश्वर के वचन का निर्देश वह माध्यम है जिसके द्वारा ज्ञान की खोज और अनुभव प्राप्त करने के माध्यम से प्राप्त अंतर्दृष्टि को व्यवहार में लाना चाहिए।
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