यदि नेवें ढ़ा दी जाएं तो धर्मी क्या कर सकता है? (भजन संहिता ११:३)
एक काम करना है, एक अच्छी नींव स्थापित करने पर काम करना है।
विवाह और परिवार की प्रथा वह नींव है जिस पर मानव सभ्यता खड़ी होती है। यह परमेश्वर द्वारा उत्पत्ति २:२४ और ३:१६-२० में स्थापित किया गया था। वही केवल विवाह और परिवार पर राज्य स्थापित रखते है, और हम मानव के पास इसे पुनर्परिभाषित करने या उस स्थिति में इसे त्यागने का अधिकार नहीं है कि यह हमें अनुकूल नहीं करता है।
विवाह समाजशास्त्री या मनोवैज्ञानिक का आविष्कार नहीं है।
यह पृथ्वी को भरने के उद्देश्य के लिए, और अंततः विश्व को उनकी उत्तम रचना के साथ, परमेश्वर का आविष्कार है - पुरुष (पुरुष और स्त्री) उनकी प्रतिरूप में बनाई गई है। लेकिन अब वह नींव ख़तरे में है।
Join our WhatsApp Channel

Chapters
- अध्याय १
- अध्याय २
- अध्याय ३
- अध्याय ४
- अध्याय ५
- अध्याय ६
- अध्याय ७
- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- अध्याय १३
- अध्याय १४
- अध्याय १५
- अध्याय १६
- अध्याय १७
- अध्याय १८
- अध्याय १९
- अध्याय २०
- अध्याय २१
- अध्याय २२
- अध्याय २३
- अध्याय २४
- अध्याय २५
- अध्याय २६
- अध्याय २७
- अध्याय २८
- अध्याय २९
- अध्याय ३०
- अध्याय ३१
- अध्याय ३२
- अध्याय ३३
- अध्याय ३४
- अध्याय ३५
- अध्याय ३६
- अध्याय ३७
- अध्याय ३८
- अध्याय ३९
- अध्याय ४०
- अध्याय ४१
- अध्याय ४२
- अध्याय ४३
- अध्याय ४४
- अध्याय ४५
- अध्याय ४६
- अध्याय ४७
- अध्याय ४८
- अध्याय ४९
- अध्याय ५०
- अध्याय ५१
- अध्याय ५३
- अध्याय ५४
- अध्याय ५५
- अध्याय ५६
- अध्याय ५७
- अध्याय ५८
- अध्याय ५९
- अध्याय ६०
- अध्याय ६१
- अध्याय ६९
- अध्याय ७०
- अध्याय ७१
- अध्याय ७२
- अध्याय ७६
- अध्याय ७७
- अध्याय ७९
- अध्याय ८०
- अध्याय ८१
- अध्याय ८२
- अध्याय ८३
- अध्याय ८५
- अध्याय ८६
- अध्याय ८७
- अध्याय ८८
- अध्याय ८९
- अध्याय ९०
- अध्याय १०५
- अध्याय १२७
- अध्याय १२८
- अध्याय १३०
- अध्याय १३१
- अध्याय १३२
- अध्याय १३३
- अध्याय १३८
- अध्याय १३९
- अड्याय १४०
- अध्याय १४२
- अध्याय १४४
- अध्याय १४५
- अध्याय १४८
- अध्याय १४९
- अध्याय १५०