वे जातियां जिनका अधिकारी तू होने पर है शुभ-अशुभ मुहूर्तों के मानने वालों और भावी कहने वालों की सुना करती है; परन्तु तुझ को तेरे परमेश्वर यहोवा ने ऐसा करने नहीं दिया। (व्यवस्थाविवरण १८:१४)
जातियों को क्यों तिरस्कृत किया जा रहा था?
क्योंकि वे गलत लोगों का सुन रहे थे। उन्होंने शुभ-अशुभ मुहूर्तों के मानने वालों और भावी कहने वालों की सुना। उन्हें परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं की बात सुननी चाहिए थी। आप किसके आधार पर सुनते हैं और क्या सुनते हैं, आप इसके अधिकारी हो सकते हैं या इसे छोड़ सकते हैं।
"अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीत करो, तब तुम कृतार्थ हो जाओगे।" (२ इतिहास २०:२०)
तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे मध्य से, अर्थात तेरे भाइयों में से मेरे (मूसा) समान एक नबी (भविष्यवक्ता) को उत्पन्न करेगा; तू उसी की सुनना। (व्यवस्थाविवरण १८:१५)
भविष्यवाणी वचन को सुनने से आपके जीवन में पुनःस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
हम समझते हैं कि यह चुना भविष्यवक्ता, जिसके बारे में परमेश्वर बोल रहे थे, वह प्रभु यीशु था, क्योंकि वह उस स्त्री का बीज था जो सर्प के सिर को कुचलने के लिए थी। वह इब्राहीम का बीज था, जिसके माध्यम से पृथ्वी के सभी परिवार धन्य होंगे।
तो पहिचान यह है कि जब कोई नबी यहोवा के नाम से कुछ कहे; तब यदि वह वचन न घटे और पूरा न हो जाए, तो वह वचन यहोवा का कहा हुआ नहीं; परन्तु उस नबी ने वह बात अभिमान करके कही है, तू उस से भय न खाना॥ (व्यवस्थाविवरण १८:२२)
विपरीत भी सही है
जब कोई नबी यहोवा के नाम से कुछ कहे; तब यदि वह वचन न घटे और पूरा न हो जाए, तो वह वचन यहोवा का कहा हुआ नहीं; परन्तु उस नबी ने वह बात अभिमान करके कही है.... आपको उनसे डरना है।
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