पतरस और यूहन्ना तीसरे पहर प्रार्थना नौवें घंटे (दोपहर के तीन बजे) के समय मन्दिर में जा रहे थे। (प्रेरितों के काम ३:१)
प्रार्थना के निश्चित समय होने से आप एक अनुशासित प्रार्थना योद्धा बन जाएंगे।
पतरस ने दोपहर को कोठे पर प्रार्थना की। (प्रेरितों के काम १०:९)
दानिय्येल ने दिन में तीन बार प्रार्थना की (दानिय्येल ६:१०)
पूरे पवित्र शास्त्र में हम हर दिन कई बार निर्धारित प्रार्थना देखते हैं।
प्रार्थना का समय:
प्रार्थना के तीन यहूदी समय विशेष रूप से तीसरे घंटे, छठे घंटे और दिन के नौवें घंटे, या सुबह ९:०० बजे, दोपहर १२ बजे और दोपहर ३:०० बजे था।
पुराने नियम के समय में, प्रार्थना के इन घंटों को 'भेंट' या 'बलिदान' के घंटे के रूप में भी जाना जाता था। (दानिय्येल ९:२१, २ राजा १६:१५)। यह लेख्यांकित है कि नबी दानिय्येल ने दिन में तीन बार प्रार्थना की (दानिय्येल ६:१०)। सुबह ९ बजे जब मंदिर के द्वार खुले। (प्रेरितों के काम २:१५)
यह ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि प्रार्थना के यहूदी समय हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के क्रूस के सदृश (अनुरूप) हैं। मरकुस १५:२५ के अनुसार यीशु तीसरे घंटे में सूली पर गया और दोपहर ३ बजे उनकी मृत्यु हो गई।
इसके अलावा, पवित्र आत्मा का उंडेलना पिन्तेकुस्त के दिन सुबह लगभग ९ बजे हुआ।
जब और लोग एक जन्म के लंगड़े को ला रहे थे, जिस को वे प्रति दिन मन्दिर के उस द्वार पर जो सुन्दर कहलाता है, बैठा देते थे, कि वह मन्दिर में जाने वालों से भीख मांगे। (प्रेरितों के काम ३:२)
यह ध्यान रखना जरुरी है कि लंगड़े व्यक्ति ने अपने लंगड़े पैरों के चंगाई के बजाय पैसे मांगे। यह हमें बताता है कि कई बार, हम परमेश्वर से अपनी जरूरतों के अलावा कुछ और मांगते हैं।
याकूब ४:३ में याकूब का यही अर्थ है, "तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिये कि बुरी इच्छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।"
और लोग एक जन्म के लंगड़े को ला रहे थे, जिस को वे प्रति दिन मन्दिर के उस द्वार पर जो सुन्दर कहलाता है, बैठा देते थे, कि वह मन्दिर में जाने वालों से भीख मांगे। जब उस ने पतरस और यूहन्ना को मन्दिर में जाते देखा, तो उन से भीख मांगी। पतरस ने यूहन्ना के साथ उस की ओर ध्यान से देखकर कहा, हमारी ओर देख। सो वह उन से कुछ पाने की आशा रखते हुए उन की ओर ताकने लगा। तब पतरस ने कहा, चान्दी और सोना तो मेरे पास है नहीं; परन्तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूं: यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर। और उस ने उसका दाहिना हाथ पकड़ के उसे उठाया: और तुरन्त उसके पावों और टखनों में बल आ गया। और वह उछलकर खड़ा हो गया, और चलने फिरने लगा और चलता; और कूदता, और परमेश्वर की स्तुति करता हुआ उन के साथ मन्दिर में गया। (प्रेरितों के काम ३:२-८)
यह ध्यान रखना बहुत जरुरी है कि पवित्र आत्मा ने प्रार्थना के समय एक चमत्कार का काम किया। प्रार्थना चमत्कार की कुंजी है।
वाक्यांश देखें, "वह उन से कुछ पाने की आशा रखते हुए"
कुछ पाने की प्रमुख कुंजी उम्मीद (अपेक्षा) है।
जब आप किसी सभा में भाग लेते हैं, जब आप प्रार्थना करते हैं तो हमेशा प्रभु से कुछ पाने की अपेक्षा करते हैं।
लंगड़ा व्यक्ति — चलते, कूदते और परमेश्वर की स्तुति करते हुए उन के साथ मन्दिर में गया।
वह चंगा हो गया और परमेश्वर की स्तुति करते हुए मंदिर में प्रवेश किया।
बीमारी परमेश्वर के लिए महिमा नहीं लाती है लेकिन स्वास्थ्य और चंगाई हमेशा करती है।
और उनके नाम, उनके नाम में विश्वास के माध्यम से, इस व्यक्ति को मजबूत बना दिया है, जिसे आप देखते हैं और जानते हैं। हाँ, जो विश्वास उनके माध्यम से आता है, उन्होंने उसे दिया जो आप सभी की उपस्थिति में यह परिपूर्ण स्वास्थ्य है।
प्राचीन समय में, एक नाम किसी व्यक्ति की पहचान या अंतर नहीं करता था, यह उस व्यक्ति की स्वाभाव को व्यक्त करता था। इसलिए उस व्यक्ति की सामर्थ और अधिकार तब उपलब्ध था जब उस व्यक्ति के नाम का उल्लेख किया जाता था।
अवश्य है कि वह स्वर्ग में उस समय तक रहे जब तक कि वह सब बातों का सुधार न कर ले जिस की चर्चा परमेश्वर ने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के मुख से की है, जो जगत की उत्पत्ति से होते आए हैं। (प्रेरितों के काम ३:२१)
परमेश्वर ने दुनिया शुरू होने के बाद से अपने सभी पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के मुंह से बात की है।
भविष्यद्वक्ता का मुख एक महत्वपूर्ण यंत्र (साधन) है।
Chapters