फिर वह नाव पर चढ़कर पार गया; और अपने नगर में आया। (मत्ती ९:१)
उनका अपना शहर कफरनहूम को सन्दर्भित करता है। (मत्ती ४:१३)
और देखो, कई लोग एक झोले के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके पास लाए; यीशु ने उन का विश्वास देखकर, उस झोले के मारे हुए से कहा; हे पुत्र, ढाढ़स बान्ध; तेरे पाप क्षमा हुए। (मत्ती ९:२)
कई लोग एक झोले के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके (यीशु) पास लाए
यह मध्यस्थी की चित्र है। एक व्यक्ति को यीशुके पास ले जाना एक मध्यस्थी की चित्र है। ध्यान दें कि वे अपने स्वयं के लाभ की खोज में नहीं थे, लेकिन वे जिसको लाए थे उसके लाभ के लिए था। सच्चा मध्यस्थी निःस्वार्थ है।
यीशु ने उन का विश्वास देखा
यीशु की नजर सदा मध्यस्थियों पर है। दिलचस्प बात यह है कि यीशु ने लकवाग्रस्त व्यक्ति के विश्वास को नहीं देखा, बल्कि उन लोगों के विश्वास को देखा, जिन्होंने उस व्यक्ति को उनके पास लाया था।
विश्वास देखी जा सकती है
विश्वास को कैसे देखा जा सकता है?
१. हमारे कार्यों के द्वारा
और लोग एक झोले के मारे हुए को चार मनुष्यों से उठवाकर उसके पास ले आए। (मरकुस २:३)
किसी भी व्यक्ति को उसे ले जाने के लिए चार मनुष्यों की जरुरत है जो निश्चित रूप से एक भारी व्यक्ति होना चाहिए।
उस व्यक्ति को यीशु के पास लाना उनके लिए आसान नहीं था। मैं ऐसे कई लोगों के बारे में जानता हूं जो प्रार्थना सभाओं में नहीं आते हैं क्योंकि यह उनके लिए थोड़ा असुविधाजनक (अयोग्य, दुःखदायी) है। वे अक्सर कहते हैं, "कोई बस नहीं है, कोई ऑटो-रिक्शा नहीं है, मुझे चलना है, मुझे दो मंजिलों पर चढ़ना है"
विश्वास हमारे कार्यों द्वारा देखा जाता है।
सो तुम जाकर इस का अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूं। (मत्ती ९:१३)
यीशु भविष्यवक्ता होशे ६:६ को उद्धृत कर रहा था, जिसने सदियों पहले यहूदियों को निर्धारित पशु बलि देकर उनकी मूर्ति पूजा और गरीबों पर उनके उत्पीड़न का बहाना करने की कोशिश की निंदा की थी।
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