जब वे यरूशलेम के निकट पहुंचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलों को यह कहकर भेजा। (मत्ती २१:१)
बैतफगे (अरामिक, בית פגי, लिट. "अन-पका हुआ अंजीर का घर")
कि अपने साम्हने के गांव में जाओ, वहां पंहुचते ही एक गदही बन्धी हुई, और उसके साथ बच्चा तुम्हें मिलेगा; उन्हें खोलकर, मेरे पास ले आओ। यदि तुम में से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इन का प्रयोजन है: तब वह तुरन्त उन्हें भेज देगा। (मत्ती २१:२-३)
छुटकारे का सेवकाई
तब यीशु ने दो चेलों को भेजा (प.१)
छुटकारे का दल
छुटकारे का सेवकाई में अगुवाई की बहुत महत्वपूर्ण है
कि अपने साम्हने के गांव में जाओ, वहां पंहुचते ही एक गदही बन्धी हुई, और उसके साथ बच्चा तुम्हें मिलेगा; उन्हें खोलकर, मेरे पास ले आओ। (मत्ती २१:२)
उन्हें खोलकर, मेरे पास ले आओ - छुटकारा
गधा और बछिया बंधी हुई थी। प्रभु यीशु ने अपने चेलो को प्रत्युक्त कुया "उन्हें ढीला करो और मेरे पास ले आओ।"
उसी तरह, हमें उन लोगों को ढीला करने के लिए आदेश मिला है जो बंधन में हैं और उन्हें यीशु के पास लाना हैं।
छुटकारे में वचन
यदि तुम में से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इन का प्रयोजन है: तब वह तुरन्त उन्हें भेज देगा। (मत्ती २१:३)
अगर कोई कुछ भी कहता है - इसका मतलब मानवीय आवाज़ (वाणी)और आत्मा की वाणी भी हो सकता है। छुटकारे की प्रक्रिया में परमेश्वर का वचन बोलना बहुत महत्वपूर्ण है।
छुटकारे का उद्देश्य
और गदही और बच्चे को लाकर, उन पर अपने कपड़े डाले, और वह उन पर बैठ गया। (मत्ती २१:७)
चेलों ने जाकर, जैसा यीशु ने उन से कहा था, वैसा ही किया। (मत्ती २१:६)
जब आप वह करते हैं जो प्रभु कहता है, तो आप भविष्यवाणी को पूरा कर रहे हैं
यह इसलिये हुआ,
कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था,
वह पूरा हो;
कि सिय्योन की बेटी से कहो, देख,
तेरा राजा तेरे पास आता है;
वह नम्र है और गदहे पर बैठा है;
वरन लादू के बच्चे पर। (मत्ती २१:४-५)
यह एक भविष्यवाणी वचन था। यीशु हमेशा भविष्यवाणी के अनुसार ही कहते थे।
यीशु को भविष्यवाणी के बारे में पता था लेकिन चेलो को इस के बारें में नहीं पता था कि यह एक भविष्यवाणी थी लेकिन जैसा कि परमेश्वर जो बी भी कहते थे वे उनका पालन करते थे, वे स्थिरता से भविष्यवाणी को पूरा कर रहे थे।
उनके कार्य स्वाभाविक रूप से भविष्यवाणियां थे क्योंकि वे प्रभु की वाणी का पालन कर रहे थे। इस तरह से आप एक भविष्यवक्ता, भविष्यवाणी कलीसिया, भविष्यवाणिय दल बनेंगे।
क्या होता अगर चेलो ने इस तरह से सोचा होगा कि, "क्यों एक गधा लेना है? चलो एक घोड़ा लेते हैं। उन्होंने शायद लोगों को प्रभावित किया होगा लेकिन वे निश्चित रूप से भविष्यद्वाणी नहीं करेंगे।
और उन से कहा, लिखा है, कि मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो। (मत्ती २१:१३)
हमारे पिता, परमेश्वर का एक आत्मिक निवास है। उनका निवास स्थान प्रार्थना का घर है।
"डाकू" हैं जो हमें इस अनुभव को लूटते हैं (मत्ती २१:१३)। यरूशलेम में मंदिर में, लोगों को पदार्थवादी धन परिवर्तक, व्यवसाय की उन्मादी कार्य और याजकों और डकैतियों द्वारा लगाए गए धर्म के शानदार अनुष्ठानों द्वारा पिता के घर के वास्तविक अनुभव को लूटा जा रहा था। यीशु ने इस परिस्थिति को "डाकुओं का गुफा" (अड्डा) कहा।
प्रार्थना का घर परमेश्वर की सामर्थ के प्रदर्शन के लिए एक क्षेत्र बनेगा।
हमारे कलीसिया केवल सामाजिक या मनोरंजक केंद्र नहीं बनने चाहिए, बल्कि परमेश्वर की सामर्थ के प्रदर्शन के लिए अखाड़े होने चाहिए।
हर व्यक्ति के आत्मिक "मंदिर" में निवास करना हमारा पिता का दिव्य उद्देश्य है ताकि हर व्यक्ति "प्रार्थना का घर" बन जाए।
और अंजीर का एक पेड़ सड़क के किनारे देखकर वह उसके पास गया, और पत्तों को छोड़ उस में और कुछ न पाकर उस से कहा, अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे; और अंजीर का पेड़ तुरन्त सुख गया। (मत्ती २१:१९)
हमारे शब्दों में भी समान सामर्थ है। हम खुद को और दूसरों को बना (निर्मान कर) सकते हैं या हम खुद को और दूसरों को नीचे ला सकते हैं। नीतिवचन १२:१८, "18 ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोच विचार का बोलना तलवार की नाईं चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं।"
उन्होंने उस से कहा, वह उन बुरे लोगों को बुरी रीति से नाश करेगा; और दाख की बारी का ठेका और किसानों को देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे। (मत्ती २१:४१)
चरित्र का व्यक्ति फल उत्तपन करता है। चरित्र और फल अवियोज्य (अलग अलग) हैं।
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