4 यहोवा ने शमूएल को बुलाया। शमूएल ने उत्तर दिया, “मैं यहाँ उपस्थित हूँ।” 5 शमूएल को लगा कि उसे एली बुला रहा है। इसलिए शमूएल दौड़कर एली के पास गया। शमूएल ने एली से कहा, “मैं यहाँ हूँ। आपने मुझे बुलाया।”
किन्तु एली ने कहा, “मैंने तुम्हें नहीं बुलाया। अपने बिस्तर में जाओ।”
शमूएल अपने बिस्तर पर लौट गया। 6 यहोवा ने फिर बुलाया, “शमूएल!” शमूएल फिर दौड़कर एली के पास गया। शमूएल ने कहा, “मैं यहाँ हूँ। आपने मुझे बुलाया।”
एली ने कहा, “मैंने तुम्हें नहीं बुलाया, अपने बिस्तर में जाओ।” (1 शमूएल 3:4-6)
यह ध्यान रखना बहुत दिलचस्प है कि यहोवा ने शमूएल को पुकारा, लेकिन उसने एली की आवाज सुनी। यहां एक गहरा आत्मिक सत्य है। इसका कारण यह है कि शमूएल एली के अधीन हो रहा था। आप अक्सर परमेश्वर के उस दास या दासी की आवाज़ में परमेश्वर की आवाज़ सुनेंगे जिनके आप आधीन हैं।
उस समय तक तो शमूएल यहोवा को नहीं पहचानता था, और न तो यहोवा का वचन ही उस पर प्रगट हुआ था। (१ शमूएल ३:७)
यहोवा की वाणी न पहचानने का एक कारण यह है कि शमूएल अभी तक यहोवा को घनिष्ठ रूप से नहीं जानता था। यह दोनों तरह से है; जब आप यहोवा की वाणी सुनते हो, तब आप उन्हें घनिष्ठता से जानने लगते हो। आज, हम भविष्यद्वक्ता शमूएल से बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि हमारे पास उनका वचन है, जो उनकी वाणी है। भविष्यद्वक्ता शमूएल के पास वह नहीं था।
मैंने एली से कहा है कि मैं उसके परिवार को सदा के लिये दण्ड दूँगा। मैं यह इसलिए करूँगा कि एली जानता है उस के पुत्रों ने परमेश्वर के विरुद्ध बुरा कहा है, और किया है, और एली उन पर नियन्त्रन करने में असफल रहा है। (1 शमूएल 3:13)
एली के होप्नी और फिनीस नाम के दो दुष्ट पुत्र थे, जो तम्बू में सेवा तो करते थे परन्तु यहोवा को नहीं जानते थे (१ शमूएल २:१२)। उन्होंने उन बलिदानों का माँस रख कर और खाकर व्यवस्था का उल्लंघन किया जो उन्हें आवंटित नहीं किए गए थे। उन्होंने मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सेवा करनेवाली स्त्रियों से भी लैंगिक सम्बन्ध किया (१ शमूएल २:२२)। स्पष्ट रूप से, एली के पुत्रों के बुरे व्यवहार के बारे में व्यापक रूप से जाना जाता था (१ शमूएल २:२४), और एली को इसकी खबर मिली। जब उसे यह पता चला, तो उसने अपने पुत्रों को डाँटा, परन्तु उन्हें रोकने में असफल रहा, जिससे वे निवासस्थान को लगातार अशुद्ध करते रहे (१ शमूएल २:२५)।
एली, माता-पिता और याजक दोनों के रूप में, अपने पुत्रों को रोकने का जिम्मेदार था। एली का मन यहोवा की अपेक्षा अपने पुत्रों की ओर अधिक लगा था।
इसलिए शमूएल ने एली को वह हर एक बात बताई। शमूएल ने एली से कुछ भी नहीं छिपाया। एली ने कहा, “वह यहोवा है। उसे वैसा ही करने दो जैसा उसे अच्छा लगता है।” (1 शमूएल 3:18)
एली ने प्रभु से पाया गंभीर संदेश के प्रति बहुत ही लापरवाह रवैया प्रदर्शित किया। उसे अपने मुंह के बल गिरना चाहिए था और यहोवा के वचन पर थरथरना चाहिए था।
एली जैसे लोग हैं जो सुनना चाहते हैं कि परमेश्वर क्या कह रहा है, परन्तु जब वे इसे सुनते हैं, तो वे उस पर कोई कार्य नहीं करते।
किन्तु एली ने कहा, “मैंने तुम्हें नहीं बुलाया। अपने बिस्तर में जाओ।”
शमूएल अपने बिस्तर पर लौट गया। 6 यहोवा ने फिर बुलाया, “शमूएल!” शमूएल फिर दौड़कर एली के पास गया। शमूएल ने कहा, “मैं यहाँ हूँ। आपने मुझे बुलाया।”
एली ने कहा, “मैंने तुम्हें नहीं बुलाया, अपने बिस्तर में जाओ।” (1 शमूएल 3:4-6)
यह ध्यान रखना बहुत दिलचस्प है कि यहोवा ने शमूएल को पुकारा, लेकिन उसने एली की आवाज सुनी। यहां एक गहरा आत्मिक सत्य है। इसका कारण यह है कि शमूएल एली के अधीन हो रहा था। आप अक्सर परमेश्वर के उस दास या दासी की आवाज़ में परमेश्वर की आवाज़ सुनेंगे जिनके आप आधीन हैं।
उस समय तक तो शमूएल यहोवा को नहीं पहचानता था, और न तो यहोवा का वचन ही उस पर प्रगट हुआ था। (१ शमूएल ३:७)
यहोवा की वाणी न पहचानने का एक कारण यह है कि शमूएल अभी तक यहोवा को घनिष्ठ रूप से नहीं जानता था। यह दोनों तरह से है; जब आप यहोवा की वाणी सुनते हो, तब आप उन्हें घनिष्ठता से जानने लगते हो। आज, हम भविष्यद्वक्ता शमूएल से बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि हमारे पास उनका वचन है, जो उनकी वाणी है। भविष्यद्वक्ता शमूएल के पास वह नहीं था।
मैंने एली से कहा है कि मैं उसके परिवार को सदा के लिये दण्ड दूँगा। मैं यह इसलिए करूँगा कि एली जानता है उस के पुत्रों ने परमेश्वर के विरुद्ध बुरा कहा है, और किया है, और एली उन पर नियन्त्रन करने में असफल रहा है। (1 शमूएल 3:13)
एली के होप्नी और फिनीस नाम के दो दुष्ट पुत्र थे, जो तम्बू में सेवा तो करते थे परन्तु यहोवा को नहीं जानते थे (१ शमूएल २:१२)। उन्होंने उन बलिदानों का माँस रख कर और खाकर व्यवस्था का उल्लंघन किया जो उन्हें आवंटित नहीं किए गए थे। उन्होंने मिलापवाले तम्बू के द्वार पर सेवा करनेवाली स्त्रियों से भी लैंगिक सम्बन्ध किया (१ शमूएल २:२२)। स्पष्ट रूप से, एली के पुत्रों के बुरे व्यवहार के बारे में व्यापक रूप से जाना जाता था (१ शमूएल २:२४), और एली को इसकी खबर मिली। जब उसे यह पता चला, तो उसने अपने पुत्रों को डाँटा, परन्तु उन्हें रोकने में असफल रहा, जिससे वे निवासस्थान को लगातार अशुद्ध करते रहे (१ शमूएल २:२५)।
एली, माता-पिता और याजक दोनों के रूप में, अपने पुत्रों को रोकने का जिम्मेदार था। एली का मन यहोवा की अपेक्षा अपने पुत्रों की ओर अधिक लगा था।
इसलिए शमूएल ने एली को वह हर एक बात बताई। शमूएल ने एली से कुछ भी नहीं छिपाया। एली ने कहा, “वह यहोवा है। उसे वैसा ही करने दो जैसा उसे अच्छा लगता है।” (1 शमूएल 3:18)
एली ने प्रभु से पाया गंभीर संदेश के प्रति बहुत ही लापरवाह रवैया प्रदर्शित किया। उसे अपने मुंह के बल गिरना चाहिए था और यहोवा के वचन पर थरथरना चाहिए था।
एली जैसे लोग हैं जो सुनना चाहते हैं कि परमेश्वर क्या कह रहा है, परन्तु जब वे इसे सुनते हैं, तो वे उस पर कोई कार्य नहीं करते।
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