और तेरी सुन्दरता की कीर्ति अन्यजातियों में फैल गई, क्योंकि उस प्रताप के कारण, जो मैं ने अपनी ओर से तुझे दिया था, तू अत्यन्त सुन्दर थी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है। परन्तु तू अपनी सुन्दरता पर भरोसा कर के अपनी नामवरी के कारण व्यभिचार करने लगी, और सब यात्रियों के संग बहुत कुकर्म किया, और जो कोई तुझे चाहता था तू उसी से मिलती थी। (यहेजकेल १६:१४-१५)
इस्राएल उसकी प्रसिद्धि को संभाल नहीं सका। सफलता परम परीक्षा है। समृद्धि (गरीबी नहीं) किसी व्यक्ति, किसी देश की अंतिम परीक्षा है। बहुत से लोग विफलता को संभाल सकते हैं लेकिन बहुत काम लोग सफलता को संभाल सकते हैं।
देख, तेरी बहिन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरके खाती, और सुख चैन से रहती थी: और दीन दरिद्र को न संभालती थी। सो वह गर्व कर के मेरे साम्हने घृणित काम करने लगी, और यह देख कर मैं ने उन्हें दूर कर दिया। (यहेजकेल १६:४९-५०)
सदोम का पाप (यहेजकेल १६:४९)
१. घमण्ड
२. भोजन की परिपूर्णता - भुकड़पन
३. सुख चैन (आलस्य) की बहुतायत
४. गरीबों और जरूरतमंदों की परवा न करना
और जब तू अपनी बहिनों को अर्थात अपनी बड़ी और छोटी बहिनों को ग्रहण करे, तब तू अपना चालचलन स्मरण कर के लज्जित होगी; और मैं उन्हें तेरी पुत्रियां ठहरा दूंगा; परन्तु यह तेरी वाचा के अनुसार न करूंगा। मैं तेरे साथ अपनी वाचा स्थिर करूंगा, और तब तू जान लेगी कि मैं यहोवा हूँ। (यहेजकेल १६:६१-६२)
परमेश्वर ने सिर्फ इस्राएल को एक वेश्या के रूप में वर्णित किया था जिसने विवाह की वाचा को तोड़ दिया था और अन्य पुरुषों के पास चले गए थे। उन्होंने मूर्तियों और उनके आसपास के देशों के तरीकों का पालन करना चुना। क्यूंकि उन्होंने इस तरीको को चुना था, इसलिए परमेश्वर ने इस्राएल को नष्ट करने और उन्हें कड़ी सजा देने के लिए चुना।
हालाँकि, बहुत समय की सजा के बाद, परमेश्वर फिर उनके साथ एक नई वाचा स्थापित करेगा। वह उनके सभी पापों का प्रायश्चित करने वाला होगा, भले ही वे इसके लायक नहीं थे।
Chapters
- अध्याय १
- अध्याय २
- अध्याय ३
- अध्याय ४
- अध्याय ५
- अध्याय ६
- अध्याय ७
- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- अध्याय १३
- अध्याय १४
- अध्याय १५
- अध्याय १६
- अध्याय १७
- अध्याय २१
- अध्याय २२
- अध्याय २६
- अध्याय २७
- अध्याय २९
- अध्याय ३०
- अध्याय ३१
- अध्याय ३२
- अध्याय ३३
- अध्याय ३४
- अध्याय ३५
- अध्याय ३६
- अध्याय ३७
- अध्याय ३८
- अध्याय ४७
- अध्याय ४८