आपके अनुयायियों को लगता है कि वे आप पर हावी हो रहे हैं, लेकिन वे भगवान द्वारा स्थापित किए जा रहे हैं। (निर्गमन १४:१-४)
डर आपके कबूल (अंगीकार) को प्रभावित करता है
और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दोहाई दी। (निर्गमन १४:१०)
और वे मूसा से कहने लगे, क्या मिस्र में कबरें न थीं जो तू हम को वहां से मरने के लिये जंगल में ले आया है? तू ने हम से यह क्या किया, कि हम को मिस्र से निकाल लाया?
क्या हम तुझ से मिस्र में यही बात न कहते रहे, कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल में मरने से मिस्रियों की सेवा करनी अच्छी थी। (निर्गमन १४:११-१२)
उन्होंने इस तरीके से क्यों बात की?
यह उनका डर था। डर आपको ऐसे तरीके से बात करने देगा जो परमेश्वर के वचन के अनुरूप नहीं है।
आपको कैसे पता चलेगा कि आपके भीतर भय (डर) है?
बस जिस तरह से बोलता है उसे सुनो और आपको पता चल जाएगा कि क्या वे डर या विश्वास में चल रहे हैं।
कबूल करना
यहोवा मेरे लिए लड़ेगा, और मैं अपनी शांति बनाए रखूंगा (निर्गमन १४:१४)
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Chapters
- अध्याय १
- अध्याय २
- अध्याय ३
- अध्याय ४
- अध्याय ५
- अध्याय ६
- अध्याय ७
- अध्याय ८
- अध्याय ९
- अध्याय १०
- अध्याय ११
- अध्याय १२
- अध्याय १३
- अध्याय १४
- अध्याय १५
- अध्याय १६
- अध्याय १७
- अधाय १८
- अध्याय १९
- अध्याय २०
- अध्याय २१
- अध्याय २२
- अध्याय २३
- अध्याय २४
- अध्याय २५
- अध्याय २६
- अध्याय २७
- अध्याय २८
- अध्याय २९
- अध्याय ३०
- अध्याय ३१
- अध्याय ३२
- अध्याय ३३
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- अध्याय ३५
- अध्याय ३६
- अध्याय ३७
- अध्याय ३८
- अध्याय ३९
- अध्याय ४०